Sunday, March 26, 2017

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Mohabbat

मोह्ब्बत के मीम से ना वाक़िफ मोह्ब्बत करने बेठे हेँ

जिन्हे मोह्ब्बत नही आती वोह मोहब्बत करने बेठे हैँ

ओर मोह्ब्बत तो हर ऐक से हो सकती हे ऐ मेरे दोसत

ना के लड़की से मोहब्बत को ही मोह्ब्बत कहते हेँ



Muhammad s/w

किया लिखू मेँ मोहम्मद कि शान मेँ

सब तो मोजूद हे ख़ुद क़ुरआन मेँ

इन्तिहा होगई बस कुछ देर ये सोचने के बाद

के सानी नही कोई उन्का पूरे जहान मेँ


Election 2017

कभी थे हम उनके दर पर

अब आये हैं ये हमारे दर पर



हाँ ये तो सियासी रास्ता है

वरना कहाँ हमसे वास्ता हे



अब आये हैं हम से वोट लेने

रिशवत में हम को नोट देने

फिर हमको वही चोट देंगे

आज हम जिनको वोट देंगे



बाद वोटिंग न कोई रास्ता है

हाँ ये तो सियासी रास्ता है



आज हम जिसको देखते हैं

वही लंबी लंबी फेंकते हैं

हम गरीबो को बना कर निशाना

टेढ़ी नज़र से देखते हैं



अब तो गरीबो के लिए नाश्ता हे

हाँ ये तो सियासी रास्ता है



भाइयो तुम संभल के रहना

बाद वोटिंग के फिर न कहना

गोर ओ फ़िक्र से बटन दबाना

कियोंकि विपक्षी दल को हे हराना


दोस्तों ये साजिद की दास्ताँ हे

हां ये तो सियासी रास्ता है



14 फरवरी

मतलब कि दुन्या मेँ हर आक़िल रो गया

अंगरेज़ो के चक्कर मेँ हर आशिक़ खो गया

आज गेरत कितनी अंधी होगई ऐ साजिद

जो लड़की पटाने का भी अलग Day हो गया


तारीफ़
गुड ,नाइस, और स्मारट किया किया कहूं तुमको

आख़िर ज़माने का ही हसीन कह डालू तुमको

ओर कियोँ न लिखूं हुस्न का गोहर ओर चमन का पेकर तुम हो

हमेँ हुस्न से किया लेना दर असल हम्मेँ बा वाक़ार तुम हो

मओहब्बते माँ
ये सच हे दोसतो की दुआओ मेँ फरिशतो की आवाज़ होती हे?

ओर मोहब्बत भरी दुआ हमेशा ही परवाज़ होती हे

लेकिन इन दुआओ से कहीँ बेहतर हे माँ कि दुआऐँ

कियोँ के माँ कि दुआऐँ हि हमारी तरक़्क़ी का राज़ होती हे



बिजनोरी की दोस्ती


ये किसने कह दिया बिजनोरी परेशानी मेँ साथ नही देते

अपने सामने गिरता देख़ भी हाथ नही देते

अरे दोसतो की खातिर तो बिजनोरी लाख उठाते हेँ सितम

ओर उस वक़्त तक छोडते नही साथ जब तक दोसती को अंजाम नही देते


बचपन बड़ा पियारा हे

हाँ हक़ीकत मेँ बच्पन का ज़माना कुछ ओर होता हे

न गलयोँ मेँ आंसू का कोई गोर होता हे

ओर न होता हे कोई गम किसी कि डांट व फटकार का

लेकिन अब तो ऐश मेँ भी हर वक़्त दिल बोर होता हे

केक्रिसमस डे पर एक ने टॉप लगा रखा था

ये किया हे ओर किया लगा रख्खा हे

सर पे आशयाना सा सजा रख्खा हे

किरिसमस बनाना शरीअत से नही साबित

वेसे तुम्हे तो आलिमो ने काफी बता रख्खा हे


जंग वो ग़ज़वात का खुलासा
ओहदो खंदक़ फतहे मक्का ओर जंगे बदर

कब कहां ओर केसे हुवी जंगे जबल

पेश हे गज़वात कुछ ऐ मुअज़्ज़ नाज़रीन

फक़त दुआ गो हे साजिद ओर उसके शारिकीन



(ये शेर मसनद अनसारी के नाम)

दूसरो के अशआर से तुम खुद को महान कह गये

हमारी काविशो को तुम र्सिफ दुन्या मेँ नाम कह गये

अजब ज़माना हे इन्सान कि फितरत तो देखये

इतने अशआर लिख कर भी हम गुम नाम रह गये



{ये शेर ऐक तालिबे इलम के लिये लिखा
~जिसने बिना टोपी के अपनि इमेज अपलोड
 कि}

किया लाइक करु भाई सब कुछ तो अब फेक होरहा
हे॰॰॰
नोटो से लेकर मोबाइल तक हेक होरहा हे॰॰॰
चहरा ख़ुब सूरत हे पर टोपी नही सर पर॰॰॰
यही वजह हे के मुझसे फोटो रिजेकट होरहा हे


छोड़ शैतान की मजलिस पकड़ अल्लाह की रस्सी



ख़ुदा से ङरने वालो का भला कुछ नही होता

मिटाते हैँ अंधेरो को पर उन्को कुछ नहि होता

ये दुनयावी मजालिस हैँ न इन्मेँ तू बसेरा कर

ओर दीनी मजालिस मेँ तो कोई शेतां भी नही होता

Sunday, January 8, 2017

sajid malik

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